मूल रूप से गढ़वाल में ब्राह्मण जातियां तीन हिस्सो में बांटी गई है :- 1 सरोला 2 गंगाड़ी 3 नाना सरला और गंगाड़ी 8 वीं और 9वीं शताब्दी के दौरान मैदानी भाग से उत्तराखंड आए थे। पवार शासक के राजपुरोहित के रूप में सरोला आये थे। गढ़वाल में आने के बाद सरोला और गंगाड़ी लोगो ने नाना गोत्र के ब्राह्मणों से शादी की। सरोला ब्राह्मण के द्वारा बनाया गया भोजन सब लोग खा लेते है परंतु गंगाड़ी जाती का अधिकार केवल अपने सगे-सम्बन्धियो तक ही सिमित है। 1. नौटियाल - 700 साल पहले टिहेरी से आकर तली चांदपुर में नौटी गाव में आकर बस गए ! आप के आदि पुरष है नीलकंठ और देविदया, जो गौर ब्राहमण है।। नौटियाल चांदपुर गढ़ी के राजा कनकपाल के साथ सम्वत 945 मै धर मालवा से आकर यहाँ बसी, इनके बसने के स्थान का नाम गोदी था जो बाद मैं नौटी नाम मैं परिवर्तित हो गया और यही से ये जाती नौटियाल नाम से प्रसिद हुई। 2. डोभाल - गढ़वाली ब्राह्मणों की प्रमुख शाखा गंगाडी ब्राह्मणों मैं डोभाल जाती सम्वत 945 मै संतोली कर्नाटक से आई मूलतः कान्यकुब्ज ब्रह्मण जाती थी। मूल पुरुष कर्णजीत डोभा गाँव मैं बसने से डोभाल क...
Posts
Showing posts from April, 2017